Friday, July 8, 2011

दिल्ली O दिल्ली .............

दिल्ली ओ दिल्ली
तू शहर है दिलवालों का और शायद हर आने जाने वालो का
पर क्या किसी ने तेरा दिल देखा है
देखा है किसी ने तुझे रंग बदलते हुए
ज्यादा करीब से तो  नहीं, पर हाँ मैंने देखा है
और फिर तुझे समझने के लिए दूर रहना जरूरी है!

वोह दिन आज भी याद है मुझे
जब तू और भी जवान थी
एक छोटे बच्चे की तरह तेरी दुनिया भी आसान थी
वो खाली  खाली सड़के थी
वो छोटे रास्ते, लम्बी लम्बी बातें थी!

फिर चन्द्रमा सी तू बढती गयी,
हर कोई अब दूर रहता है
हर त्यौहार अब अकेला होता है
कोई करे भी तोह क्या, रस्ते है ही इतने लम्बे!

लेकिन आज भी तेरा दिल धड़कता है
हर वो सर्दी की सुबह आज भी वैसी है
आज भी वो  नए साल का कोहरा तुझे सताता है
तुझे गर्मी मैं आज भी उतना ही पसीना आता है
और बरसात मैं तू आज भी उतनी ही खूबसूरत लगती है!

दिल्ली ओ दिल्ली
लोग कहते है तू शहर है दिलवालों का
मैं कहती हूँ - तू ही दिल है हम शहरवालो का!

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